हार-जीत, हौसला

इस हार को हमने पहले भी देखा है,
जीत का स्वाद भी चखा है,

युद्ध में नाम उसी का अमर है ,
जिसने लड़ने का हौसला रखा है।

लड़ते नही इंसान युद्ध के मैदानों में ,
ये लड़ाई उनके होसलों की है,

पंछी नही उड़ता पँखो से,
उड़ता उसका हौसला देखा है।।

– रवि चांदना

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